प्रशिक्षण संस्थान डायट पर 22 ब्लाक के 1,500 शिक्षकों का साझा सपना, बच्चों को गुणवत्तापूर्ण देंगे शिक्षा
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) प्रयागराज में शिक्षक प्रशिक्षण के क्षेत्र में नए माडल अपनाए जा रहे हैं। इनका उद्देश्य शिक्षकों के कौशल विकास के साथ शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। नई शिक्षा नीति 2020 को ध्यान में रखकर लागू की गई प्रशिक्षण शैली में ‘माइक्रो टीचिंग’ पर विशेष बल दिया जा रहा है, ताकि प्रशिक्षु शिक्षक छोटे छोटे सत्रों में अपने शिक्षण कौशल को सुधार सकें।
इसके साथ ही ज्ञान की दीवार की अवधारणा पर भी कार्य किया जा रहा है, जहां सीखी गई गतिविधियों को बोर्डों पर दर्शाकर व्यवहार में उतारने का प्रयास हो रहा है। प्रशिक्षु शिक्षकों को बच्चों की क्षमता के अनुसार पढ़ाने की तकनीक दी जा रही है, जिसे टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मटेरियल) कहते हैं। शिक्षकों को खुद ही अपना स्टडी मटेरियल तैयार करना होगा, जिससे वे विद्यार्थियों की मानसिक और बौद्धिक क्षमता के हिसाब से उन्हें पढ़ा पाए। ये तकनीक प्राथमिक शिक्षा में एक नया आयाम जोड़ेगी।
संस्थान के प्रवक्ता वीर भद्र प्रताप ने बताया कि इन योजनाओं के लागू होने से शिक्षक न केवल स्वयं में सुधार करेंगे, बल्कि छात्रों की भी भागीदारी बढ़ेगी। संस्थान का लक्ष्य सितंबर 2025 तक 22 ब्लाकों के 1500 से अधिक शिक्षकों को संपूर्ण प्रशिक्षण देना है। विषयवस्तु केवल कक्षा तक सीमित न रहे, बल्कि विद्यार्थियों के जीवन शैली में उतरे, इसी पर डायट काम करता है।
उन्होंने कहा, संस्थान में शिक्षकों को स्टीम (STEAM-साइंस, टेक्नोलाजी, इंजीनियरिंग, आर्ट और मैथ), लर्निंग आउटकम और एसपीसी (सब्जेक्ट प्रोफिशिएंसी सर्टिफिकेट) कार्यक्रम के तहत जिले के विभिन्न स्कूलों के छात्रों की साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिससे व्यक्तिगत स्तर पर निगरानी संभव हो रही है। यहां न केवल शिक्षा की बात होती है, बल्कि बच्चों के जीवन में 360 डिग्री के बदलाव पर ज़ोर है, ताकि आने वाली पीढ़ी सक्षम हो। हमारा काम केवल पढ़ाना नहीं, बल्कि देश को नए विचारबद्ध युवा देना है।