बेसिक स्कूलों में पढ़ाई का नया अंदाज, बच्चों से दूर हो रहा गणित-विज्ञान का डर, जानिए क्या है सुपर-50 ग्रुप

बेसिक स्कूलों में पढ़ाई का नया अंदाज, बच्चों से दूर हो रहा गणित-विज्ञान का डर, जानिए क्या है सुपर-50 ग्रुप

‎बरेली के बेसिक स्कूलों में अब पढ़ाई का तरीका बदल रहा है। यहां बच्चों की पढ़ाई को आसान और मजेदार बनाने के लिए सुपर-50 लर्निंग कम्युनिटी ग्रुप बनाया गया है। इस ग्रुप से जुड़े शिक्षक बच्चों को पुराने ढर्रे से अलग, नए और रोचक तरीकों से पढ़ा रहे हैं। इसका असर यह हो रहा है कि बच्चे अब पढ़ाई से डरने की बजाय उसे समझने और सीखने में रुचि ले रहे हैं।

‎सुपर-50 ग्रुप क्यों बनाया गया?

‎बेसिक शिक्षा विभाग की सबसे बड़ी चुनौती बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता सुधारना है। ऑपरेशन कायाकल्प से स्कूलों की इमारत, फर्नीचर और सुविधाओं में तो सुधार हुआ, लेकिन पढ़ाई की गुणवत्ता बेहतर करना जरूरी था। इसी को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग ने सुपर-50 ग्रुप की शुरुआत की। इसमें ऐसे शिक्षक शामिल किए गए हैं जो नए-नए तरीके से बच्चों को पढ़ाते हैं और पढ़ाई को बोझ नहीं बनने देते।

‎कैसे पढ़ाई कराई जाती है?

‎सुपर-50 ग्रुप के शिक्षक सिर्फ किताब तक बच्चों को सीमित नहीं रखते। वे बच्चों को आस-पास के माहौल से जोड़कर पढ़ाई कराते हैं। उदाहरण के लिए –

‎मॉडल बनाकर पढ़ाना: बच्चे खुद हाथों से मॉडल बनाते हैं और विषय को समझते हैं।

‎तकनीक से पढ़ाई: लैपटॉप और स्मार्टफोन का इस्तेमाल करके वीडियो और चित्रों के जरिए पढ़ाई कराई जाती है।

‎खेल के जरिए विज्ञान-गणित: कठिन लगने वाले विषयों को खेलों से जोड़ दिया जाता है, जिससे बच्चों को समझना आसान हो जाता है।

‎अखबार पढ़ने की आदत: बच्चों को अखबार पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है, ताकि उनका सामान्य ज्ञान और भाषा दोनों मजबूत हों।

‎आत्मविश्वास बढ़ाना: बच्चों को बोलने, प्रश्न पूछने और अपनी बात रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

‎असर क्या दिख रहा है?

‎इस नई पहल का असर साफ नजर आने लगा है।

‎बच्चों का गणित और विज्ञान का डर कम हो रहा है।

‎निपुण परीक्षा में इन स्कूलों के बच्चे अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।

‎बच्चों की उपस्थिति बढ़ रही है।

‎मिड डे मील, सफाई और अन्य सुविधाओं में सुधार हुआ है।

‎सबसे बड़ी बात, बच्चे अब पढ़ाई को बोझ नहीं मानते बल्कि उसमें मज़ा लेने लगे हैं।

‎नतीजा

‎सुपर-50 ग्रुप ने यह साबित कर दिया है कि अगर पढ़ाने का तरीका बदला जाए तो कठिन से कठिन विषय भी बच्चों के लिए आसान बन सकते हैं। यह पहल न केवल बच्चों की पढ़ाई में सुधार ला रही है बल्कि उनके आत्मविश्वास और सोचने-समझने की क्षमता को भी बढ़ा रही है।

Leave a Comment

WhatsApp Group Join