लखनऊ हाईकोर्ट अपडेट: विद्यालय मर्जर प्रकरण पर कल हुई बहस का सारांश टीम एल पी मिश्रा

लखनऊ हाईकोर्ट अपडेट: विद्यालय मर्जर प्रकरण पर कल हुई बहस का सारांश टीम एल पी मिश्रा

‎लखनऊ हाईकोर्ट अपडेट*

‎*#विद्यालय मर्जर प्रकरण पर कल हुई बहस का सारांश टीम एल पी मिश्रा की कलम से..*

‎1️⃣ कल लगभग 11:40 Am से सुनवाई आरंभ हुई। वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एल०पी० मिश्रा ने बच्चों की ओर से अत्यंत व्यवस्थित, संतुलित एवं विधिसम्मत ढंग से बहस की शुरुआत की।

‎2️⃣ *सिंगल बेंच के आदेश पर आपत्ति:*

‎डॉ. मिश्रा ने प्रारंभ में ही सिंगल बेंच के निर्णय की विधिक त्रुटियाँ स्पष्ट कीं। उन्होंने बताया कि उक्त आदेश संविधान, कानून एवं बालकों के मूल अधिकारों के विरुद्ध है.

‎3️⃣ *RTE अधिनियम एवं UP RTE नियमों का प्रस्तुतीकरण:*

‎उन्होंने ‘बालकों को समीपवर्ती विद्यालय (प्राथमिक – 1 किमी, उच्च प्राथमिक – 3 किमी) में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार RTE अधिनियम के तहत प्रदत्त बताया, जिसे राज्य सरकार किसी भी स्थिति में समाप्त नहीं कर सकती

‎4️⃣ *राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) का सन्दर्भ:*

‎डॉ. मिश्रा ने NEP 2020 के पैराग्राफ 3.2, 5.10 एवं 7.4 का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि नीति कहीं भी विद्यालयों को बंद करने की अनुशंसा नहीं करती। इसके विपरीत, यह नीति प्रत्येक विद्यालय को सुदृढ़ करने एवं आवश्यक मूलभूत सुविधाओं से सुसज्जित करने पर बल देती है।

‎5️⃣ *समग्र शिक्षा 2022 का उल्लेख:

‎NEP के परिपालन में केंद्र सरकार द्वारा संशोधित समग्र शिक्षा 2022 गाइडलाइंस को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी विद्यालय मर्जर की प्रक्रिया में RTE अधिनियम द्वारा निर्धारित दूरी मानकों का उल्लंघन न किया जाए।

‎6️⃣ *वर्तमान मुख्य न्यायाधीश महोदय द्वारा राजस्थान हाइकोर्ट में तैनाती के दौरान दिए गए पूर्ववर्ती निर्णय का स्मरण:

‎डॉ. मिश्रा ने वर्तमान मुख्य न्यायाधीश द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय में तैनाती के दौरान विद्यालय मर्जर पर पारित आदेश को प्रस्तुत किया, जिसमें RTE मानकों से अधिक दूरी पर विद्यालयों के मर्जर को निरस्त किया गया था। इसे देखकर मुख्य न्यायाधीश महोदय मुस्कुरा गए और उसे नोट किया लेकिन इसपर उन्होंने कोई मौखिक टिप्पणी नहीं की।

‎7️⃣ *विभिन्न उच्च न्यायालयों के निर्णयों का हवाला:*

‎डॉ एल पी मिश्रा जी ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान एवं केरल उच्च न्यायालयों के निर्णयों का उल्लेख किया, जहाँ मर्जर को रोकते हुए न्यायालयों ने छात्रहित में हस्तक्षेप किया है।

‎8️⃣ सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय:

‎डॉ. मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट के दो महत्वपूर्ण निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि कोई भी सरकारी नीति किसी अधिनियम को सुपरसीड नहीं कर सकती। अतः RTE अधिनियम की उपेक्षा कर विद्यालय मर्ज करना स्पष्टतः असंवैधानिक है।

‎9️⃣ *शासनादेश की अस्पष्टता और प्रशासनिक मनमानी:*

‎डॉ एल पी मिश्रा जी ने इंगित किया कि शासनादेश में न्यूनतम छात्र संख्या का कोई स्पष्ट मानक नहीं दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप जिला स्तर पर अधिकारियों ने मनमाने ढंग से विद्यालयों का मर्जर कर डाला, कहीं 50, कहीं उससे भी अधिक को ‘अपर्याप्त’ मानकर स्कूल बंद कर दिए गए।

‎🔟 *संवेदनशीलता का आग्रह:*

‎बहस के समापन पर डॉ. मिश्रा ने न्यायालय से विनम्र प्रार्थना की कि यदि वर्तमान मर्जर नीति को रोका नहीं गया, तो प्रदेश के गरीब, शोषित और वंचित वर्ग के बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा और वे निरक्षरता के गर्त में समा जाएंगे। उन्होंने इसे न्यायिक हस्तक्षेप हेतु अति संवेदनशील एवं आवश्यक मसला बताया। डॉ साहब ने कई घण्टे लंबी बहस की जिसके कुछ बिंदुओं को ही पोस्ट के माध्यम से बताना संभव है, डॉ साहब ने कोई भी बिंदु छोड़ा नहीं।

‎1️⃣1️⃣ *अन्य याचिकाओं की बहस:*

‎डॉ. साहब के बाद एक अन्य याचिका पर जूनियर अधिवक्ता ने 30 मिनट तक बहस की और डॉ एल०पी० मिश्रा जी द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर पुनः न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया। तत्पश्चात, दिव्यांग बच्चों की ओर से दाखिल स्पेशल अपील पर एक अन्य अधिवक्ता ने 5 मिनट बहस की।‎

‎1️⃣2️⃣ *राज्य सरकार की प्रारंभिक बहस:*

‎अंततः सरकार की ओर से लगभग 10 मिनट तक पक्ष प्रस्तुत किया गया। सायं 4:15 बजे के आसपास बहस समाप्त हुई। राज्य सरकार द्वारा UP RTE रूल्स में किए गए एक संशोधन का हवाला दिया गया। इसका जवाब आज डॉ एल०पी० मिश्रा देंगे।

‎👉 आज पुनः राज्य सरकार अपनी विस्तृत बहस प्रस्तुत करेगी, जिसके पश्चात डॉ. एल०पी० मिश्रा जी अपनी बहस का अंतिम conclusion प्रस्तुत करेंगे।

‎टीम एल०पी० मिश्रा पूरी निष्ठा और विधिक गंभीरता के साथ संघर्षरत है। परिणाम जो भी हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि हमने न्यायालय के समक्ष संविधान, कानून और बाल अधिकारों की बात अत्यंत सशक्त ढंग से रखी है। हम किसी भी बड़ी ताकत से डरते नहीं है, *हम इस देश के उस आखिरी दरवाजे तक बच्चों के अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगे जहां न्याय की एक आखिरी किरण* भी बाकी हो।

‎*टीम एल०पी० मिश्रा*

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