ड्यूटी पर आते-जाते हुए हादसे भी सेवा में माने जाएंगे: कोर्ट
दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने एक अहम फैसले में यह स्पष्ट किया कि कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1923 की घारा 3 के एक प्रविधान “नौकरी के दौरान और उसके कारण हुई दुर्घटना” में निवास स्थान और कार्यस्थल के बीच आने-जाने के दौरान होने वाले हादसे भी शामिल होंगे। यानी ड्यटी पर आते-जाते समय हुए हादसे भी सेवा के दौरान ही माने जाएंगे।
जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने माना कि इस विषय पर अब तक काफी भ्रम और अस्पष्टता बनी हुई थी। खासकर उन मामलों में जब कर्मचारी ड्यटी पर आते या जाते समय हादसों का शिकार हो जाते हैं। पीठ ने कहा कि तथ्यों के आधार पर विभिन्न फैसलों में इस एक्टर की अलग-अलग व्याख्या की गई है। पीठ ने कहा-“हम कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम की धारा-3 में प्रयुक्त वाक्यांश नौकरी के दौरान और उसके कारण हुई दुर्घटना की व्याख्या इस प्रकार करते हैं कि इसमें किसी कर्मचारी के साथ उसके निवास स्थान से ड्यूटी के लिए कार्यस्थल तक जाने या ड्यूटी के बाद कार्यस्थल से उसके निवास स्थान तक लौटने के दौरान होने वाली दुर्घटना शामिल होगी, बशर्ते
दुर्घटना घटित होने की परिस्थितियों, समय, स्थान तथा रोजगार के बीच संबंध स्थापित हो।”
यह निर्णय बांबे हाई कोर्ट के दिसंबर 2011 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। हाई कोर्ट ने श्रमिक क्षतिपूर्ति आयुक्त के आदेश को रद कर दिया था, जिसमें एक व्यक्ति के परिवार को 3,26,140 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था। यह व्यक्ति ड्यूटी पर जाते समय दुर्घटना में मारा गया था।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मृतक एक चीनी फैक्टरी में चौकीदार के रूप में कार्यरत था और 22 अप्रैल 2003 को दुर्घटना के दिन उसकी ड्यूटी का समय तड़के तीन बजे से पूर्वाह्न 11 बजे तक था। पीठ ने कहा कि यह निर्विवाद है कि वह अपने कार्यस्थल की ओर जा रहा था और कार्यस्थल से लगभग पांच किलोमीटर पहले एक स्थान पर हुई दुर्घटना में उसकी मौत हो गई थी