सौगात: महिला शिक्षामित्रों और संस्कृत शिक्षकों के लिए बड़ी सौगात: मानदेय और मातृत्व अवकाश में बड़ा बदलाव
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से महिला शिक्षामित्रों और अंशकालिक अनुदेशकों के लिए एक अहम निर्णय लिया गया है। अब उन्हें छह महीने का मातृत्व अवकाश मानदेय सहित दिया जाएगा। यह कदम न केवल महिला शिक्षकों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को भी और अधिक संवेदनशील और सहयोगी बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
संस्कृत शिक्षकों के मानदेय में भी बढ़ोतरी
इससे पहले, इसी साल 25 अप्रैल को प्रदेश सरकार ने संस्कृत शिक्षकों के मानदेय में बढ़ोतरी की थी।
पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल) के शिक्षकों का मानदेय ₹12,000 से बढ़ाकर ₹20,000 प्रतिमाह किया गया।
उत्तर मध्यमा (इंटरमीडिएट) के शिक्षकों का मानदेय ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 प्रतिमाह कर दिया गया।
यह बढ़ोतरी लंबे समय से मांग कर रहे संस्कृत शिक्षकों के लिए राहत लेकर आई और उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करेगी।
संविदा पर क्यों रखे गए शिक्षक?
संस्कृत विद्यालयों में नियमित शिक्षकों की नियुक्ति लंबे समय से नहीं हो पा रही थी। इस वजह से पढ़ाई प्रभावित होने लगी। इसी समस्या को देखते हुए वर्ष 2021 में संविदा पर शिक्षकों का चयन किया गया।
दरअसल, 13 मार्च 2018 को सरकार ने 2009 की नियमावली में संशोधन कर सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को सौंप दिया था। लेकिन चयन बोर्ड की नियमावली में बदलाव न होने के कारण भर्ती प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी।
अब स्थिति यह है कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को कई संस्थाओं में नियुक्तियों का अधिकार है, लेकिन एडेड संस्कृत विद्यालय अभी भी इसमें शामिल नहीं हैं। यही कारण है कि संविदा शिक्षक अस्थायी तौर पर नियुक्त किए गए।
महिला शिक्षामित्रों को मातृत्व अवकाश और संस्कृत शिक्षकों को मानदेय बढ़ोतरी जैसे फैसले शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव का संकेत हैं। हालांकि, संस्कृत विद्यालयों में नियमित नियुक्तियों की समस्या अभी भी बनी हुई है। सरकार अगर इस पर भी ठोस कदम उठाती है, तो निश्चित ही शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों की स्थिरता दोनों में सुधार होगा।









