8वें वेतन आयोग पर बैठकों का दौर शुरू, केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ये फैक्टर अहम
केंद्रीय कर्मचारियों को आठवें वेतन आयोग के गठन का इंतजार है। इस साल की शुरुआत में ही केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के वेतन की समीक्षा के लिए 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। हालांकि, अब तक ना तो इस वेतन आयोग की समिति का गठन हुआ है और ना ही किसी तरह का नोटिफिकेशन आया है। अब इस मुद्दे को लेकर कर्मचारियों के संगठन और सरकार की बैठक होने लगी है। हाल ही में सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय परिसंघ (जीईएनसी) के प्रतिनिधिमंडल ने डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात की है। इस मुलाकात में केंद्रीय कर्मचारियों से जुड़े कुछ अहम मुद्दों की चर्चा हुई। इस दौरान 8वें वेतन आयोग का भी जिक्र किया गया। हालांकि, बैठक के बाद कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया लेकिन इसे पॉजिटिव बातचीत करार दिया गया है।
सदन में पूछा गया था सवाल
बीते दिनों मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन से जुड़े 3 सवाल किए गए थे। इन सवालों का वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित में जवाब दिया-सरकार ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) के गठन का निर्णय लिया है। प्रमुख हितधारकों से सुझाव मांगे गए हैं। इसकी आधिकारिक अधिसूचना यथासमय जारी की जाएगी। अब तक की प्रगति के बारे में उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और राज्यों सहित प्रमुख हितधारकों से सुझाव मांगे गए हैं। उन्होंने कहा कि आयोग संदर्भ शर्तों (टीओआर) में निर्धारित समय-सीमा के भीतर अपनी सिफारिशें देगा।
सैलरी के लिए अहम है फिटमेंट फैक्टर
8वें वेतन आयोग की सिफारिशों में फिटमेंट फैक्टर सबसे बड़ा फैक्टर होगा। फिटमेंट फैक्टर का उपयोग सरकारी कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और भत्तों की समीक्षा के लिए किया जाता है। यह एक जरूरी कैल्कुलेशन है जो सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के स्तर निर्धारित करता है। फिटमेंट फैक्टर का निर्धारण महंगाई, कर्मचारियों की जरूरतों और सरकार की वित्तीय क्षमता जैसे कारकों को ध्यान में रखकर किया जाता है
सातवें वेतन आयोग में अहम रहा फैक्टर
केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन वर्तमान में 2016 में लागू किए गए सातवें वेतन आयोग के फिटमेंट फैक्टर पर आधारित है। आयोग ने 2.57 प्रतिशत का फिटमेंट फैक्टर इस्तेमाल किया था। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि वेतन 2.57 गुना बढ़ गया बल्कि, इस फैक्टर को मूल वेतन में जोड़कर इसे कम से कम ₹18,000 कर दिया गया।
सैलरी का कैल्कुलेशन
एक सरकारी कर्मचारी के वेतन में बेसिक, महंगाई भत्ता (डीए), मकान किराया भत्ता (एचआरए) और परिवहन भत्ता शामिल होता है। बेसिक कुल आय का 51.5 प्रतिशत होता है जबकि डीए लगभग 30.9 प्रतिशत, एचआरए लगभग 15.4 प्रतिशत और परिवहन भत्ता लगभग 2.2 प्रतिशत होता है।