फर्जीवाड़ा:- विजिलेंस जांच में हुआ पर्दाफाश; डीआईओएस सहित नौ लोगों पर केस

फर्जीवाड़ा:- विजिलेंस जांच में हुआ पर्दाफाश; डीआईओएस सहित नौ लोगों पर केस

‎मैनपुरी के कुंवर रामचंद्र सिंह लाल सिंह कन्या इंटर काॅलेज में सहायक अध्यापिकाओं की भर्ती में फर्जीवाड़ा सामने आया है। आरोप है कि वर्ष 2016 में भर्ती निकाली गई। आगरा के 25 से अधिक आवेदक दिखाए गए, लेकिन उन्होंने न तो कभी आवेदन किया और न ही साक्षात्कार दिया। नियम विरुद्ध तरीके से सामान्य और अति पिछड़ा वर्ग में तीन अध्यापिकाओं की भर्ती की गई। आरोपों की पुष्टि होने पर तत्कालीन डीआईओएस सहित नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है।

‎कुंवर रामचंद्र सिंह लाल सिंह कन्या इंटर काॅलेज में हुई सहायक अध्यापिकाओं की भर्ती में फर्जीवाड़े की शिकायत आगरा विजिलेंस से वर्ष 2021 में की गई थी। इसके बाद शासन के निर्देश पर जांच शुरू हुई। वर्ष 2022 में जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट भेजी गई थी। इसमें फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई। शासन के आदेश पर अब विजिलेंस निरीक्षक सत्य विजय सिंह ने केस दर्ज कराया है।

‎एसपी विजिलेंस आलोक शर्मा ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया के लिए एक स्थानीय अखबार में विज्ञापन निकाला गया था। इसके बाद तीन सहायक अध्यापिकाओं की भर्ती की गई। इनमें शाहगंज के सोरों कटरा निवासी प्रीति कुमारी, सेक्टर-12 आवास विकास काॅलोनी निवासी तृप्ति भदाैरिया और मैनपुरी के भदावर हाउस निवासी पूनम राठाैर शामिल हैं। तीनों ही तब से नाैकरी भी कर रही हैं।

‎सूची में जिनका नाम, वह पहले से कर रहीं नाैकरी

‎जांच में पाया गया कि साक्षात्कार की जो सूची विजिलेंस को उपलब्ध कराई गई, उसमें 25 से अधिक आवेदक आगरा की थीं। विजिलेंस के निरीक्षक ने सभी से पूछताछ की। इनमें आधे से ज्यादा पहले से ही आगरा में अध्यापिका के पद पर नाैकरी कर रही थीं। इनमें से किसी ने भी मैनपुरी के काॅलेज के लिए आवेदन नहीं किया था। वह साक्षात्कार देने भी नहीं गईं जबकि सूची में उनके हस्ताक्षर दर्शाये गए थे। इससे सामने आया कि सूची में नाम और पते असली थे लेकिन जिनके नाम थे उन्हें कोई जानकारी ही नहीं थी।

‎समिति के तीन सदस्य नहीं आए सामने

‎भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए समिति का गठन किया गया था। इनमें विद्यालय प्रबंधक बलवीर सिंह चाैहान, प्रधानाचार्य कुसुम चाैहान, डाॅ. प्रेमपाल शास्त्री, सत्यप्रकाश और सिद्धार्थ शामिल थे। इनमें से डाॅ. प्रेमपाल शास्त्री, सत्यप्रकाश और सिद्धार्थ को पूछताछ के लिए बुलाया गया लेकिन वह नहीं आए। न ही उनके बारे में कोई जानकारी मिल सकी। भर्ती प्रक्रिया के लिए डीआईओएस का अनुमोदन आवश्यक होता है। उस समय राजेंद्र प्रसाद यादव जिला विद्यालय निरीक्षक थे। उनकी संलिप्तता भी पाई गई। अब वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं लेकिन उन्हें भी आरोपी बनाया गया है।

‎साक्षात्कार की सूची में फर्जी हस्ताक्षर

‎वादी ने पाया कि आठ अक्तूबर 2016 में सामान्य, ओबीसी और एससी वर्ग में सहायक अध्यापिकाओं की भर्ती के साक्षात्कार की सूची में सीमा त्यागी, आरती गुप्ता, कविता यादव, रेखा यादव आदि के नाम थे। इनसे पूछताछ में पता चला कि उन्होंने आवेदन तक नहीं किया था। उपस्थित सीट पर हस्ताक्षर भी नहीं किए थे। सामने आया कि फर्जी तरीके से आवेदक दर्शाकर, हस्ताक्षर कर साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी की गई। प्रीति कुमारी, तृप्ति भदाैरिया और पूनम राठाैर की सहायक अध्यापिका के पद पर गलत तरीके से नियुक्ति की गई। सभी का अनुमोदन तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक राजेंद्र प्रसाद यादव ने किया था।

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