पूर्व राज्यमंत्री से लेखपाल ने मांग ली 50 हजार रुपए की रिश्वत, सीएम योगी ने बिठाई जांच
उत्तर प्रदेश सरकार बेशक जीरो टॉलरेंस का दावा कर रही हो लेकिन सरकारी कार्यालयों का हाल किसी से छुपा नहीं है। इसी क्रम में जिलेभर में लेखपालों द्वारा रिश्वत लेने के मामले पकड़े जा चुके हैं। अब ताजा मामला अलीगढ़ में भी एक लेखपाल से ही जुड़ा हुआ है, जिसमें पूर्व राज्यमंत्री से ही 50 हजार रुपए की रिश्वत मांग ली गई। मामला 25 साल पहले खरीदी गई भूमि से जुड़ा है। इस प्रकरण में मुख्यमंत्री ने जांच के निर्देश दिए हैं।
पूर्व राज्य मंत्री ओमप्रकाश नायक एससी एसटी आयोग के सदस्य रह चुके हैं। बीते दिनों पूर्व मंत्री ने मुख्यमंत्री योगी से लखनऊ जाकर शिकायत की। कहा कि उनके द्वारा तहसील कोल के अकराबाद के गांव दुभिया में संस्था बंजारा विकास समिति के सचिव होने के नाते दो एकड़ जमीन वर्ष 2001 में खरीदी थी। जिसका बैनामा बतासो देवी ने किया। बैनामे के बाद से ही जमीन पर खेती होती आ रही है। अब वर्ष 2025 में बतासो देवी के नाम से एक शिकायत डीएम के यहां की गई। शिकायत में महिला का अंगूठा निशानी भी नहीं थी। इस शिकायत पर डीएम ने एसडीएम को जांच के आदेश दिए। तत्कालीन एसडीएम दिग्विजय सिंह ने क्षेत्रीय लेखपाल से मामले में जांच करने के निर्देश दिए।
आरोप है कि इस बीच लेखपाल के द्वारा 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगी गई, ऐसा नहीं करने पर लेखपाल ने तीन दिन में ही जांच पूरी कर जमीन को असंक्रणमीय बताकर ग्रामसभा में निहित किए जाने की रिपोर्ट दे दी। जबकि नियमानुसार पट्टे की जमीन 10 बाद स्वत: संक्रणमीय मान ली जाती है। जबकि यहां ऐसा नहीं किया गया।
प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री ने दिए डीएम को निर्देश
पूर्व राज्यमंत्री के मामले में प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद ने बीते दिनों डीएम अलीगढ़ को जांच करने के निर्देश देते हुए पूरे मामले की रिपोर्ट भी तलब की है।
1987 में हुआ था बतासो देवी के नाम जमीन का पट्टा
पूर्व मंत्री के अनुसार बतासो देवी के नाम जमीन का 1987 में पट्टा हुआ था। जबकि बैनामा 2001 में हुआ। ऐसे में भूमि संक्रमणीय हो जानी चाहिए थी, लेकिन तहसील प्रशासन ने ऐसा नहीं किया। पूर्व मंत्री ने मामले में एडीएम स्तर के अधिकारी से जांच कराए जाने की मांग की।