Child scheme Government:- बाल शिशु योजना 0 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए पोषण, शिक्षा और सुरक्षा का पैकेज

Child scheme Government:- बाल शिशु योजना 0 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए पोषण, शिक्षा और सुरक्षा का पैकेज

‎भारत सरकार बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिनका उद्देश्य है देश के भविष्य को सशक्त और सक्षम बनाना। ऐसी ही एक महत्वपूर्ण योजना है “बोल शिशु योजना”। यह योजना विशेष रूप से छोटे बच्चों में बोलने की क्षमता और भाषा विकास को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई है। 0 से 6 वर्ष की आयु तक के बच्चों में मस्तिष्क की गति अत्यधिक तेज होती है। इस दौरान यदि सही वातावरण और संवादात्मक अवसर मिले, तो बच्चों की भाषा, संज्ञानात्मक और सामाजिक क्षमताएं बहुत तेजी से विकसित हो सकती हैं।

‎योजना का उद्देश्य

‎बोल शिशु योजना का मुख्य उद्देश्य है प्रारंभिक आयु के बच्चों के लिए ऐसा वातावरण तैयार करना, जहां वे बोलना, समझना और संवाद करना सीख सकें। यह योजना विशेष रूप से उन क्षेत्रों को लक्षित करती है जहां बच्चों को भाषा विकास में बाधाएं आती हैं, जैसे ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्र, या फिर ऐसे बच्चे जिनका पालन-पोषण ऐसे वातावरण में हो रहा है जहां संवाद की कमी है।

‎राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण और विभिन्न मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में यह सामने आया कि भारत के अनेक बच्चों में भाषा कौशल की कमी देखी जाती है, खासकर वंचित वर्ग के बच्चों में। कई बच्चों को बोलने में देरी होती है, या वे ठीक से शब्दों को समझ नहीं पाते। इसका सीधा असर उनके संज्ञानात्मक विकास, शिक्षा में प्रदर्शन और सामाजिकता पर पड़ता है। यदि 6 वर्ष की आयु से पहले बच्चों को सही भाषा वातावरण नहीं मिला, तो आगे चलकर उन्हें पढ़ने-लिखने और सामाजिक व्यवहार में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

‎इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए यह योजना शुरू की गई ताकि अभिभावकों, शिक्षकों और समुदाय को प्रशिक्षित किया जा सके कि वे बच्चों को कैसे संवादात्मक, शब्द-समृद्ध और प्रोत्साहक वातावरण दें।

योजना की प्रमुख विशेषताएं

‎1. घर और आंगनवाड़ी केंद्रों में भाषा-समृद्ध वातावरण

‎बोल शिशु योजना के अंतर्गत घर और आंगनवाड़ी केंद्रों में ऐसे संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं, जो बच्चों को बातचीत के लिए प्रेरित करें। चित्रों वाली किताबें, कहानियों की सीडी, रंगीन चार्ट, खिलौने और संवादात्मक खेलों के माध्यम से बच्चों को भाषा के प्रति आकर्षित किया जाता है।

‎2. माताओं और अभिभावकों को प्रशिक्षण

‎अभिभावकों, विशेषकर माताओं को यह सिखाया जाता है कि वे कैसे रोज़मर्रा की गतिविधियों में बच्चों से बात करें, सवाल पूछें और उन्हें जवाब देने के लिए प्रेरित करें। जैसे – खाना खाते समय फल के नाम बताना, नहाते समय अंगों के नाम बताना, आदि।

 

‎3. शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका

‎आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे बच्चों के बोलने की प्रगति पर नज़र रख सकें और जरूरत पड़ने पर स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर सकें। इसके अलावा, बच्चों को कहानी सुनाना, कविता सुनाना, रंग भरने के दौरान बातचीत करना जैसे अभ्यास किए जाते हैं।

‎4. विशेष रूप से डिजाइन किया गया ऐप

‎सरकार द्वारा एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया है जिसमें अभिभावकों को छोटे-छोटे वीडियो, गतिविधियाँ और सुझाव दिए जाते हैं कि वे कैसे बच्चों के साथ संवाद करें। यह ऐप क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध है।

 

‎5. स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग का समन्वय

‎इस योजना में शिक्षा मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय एक साथ काम करते हैं। यदि किसी बच्चे में बोलने की देरी पाई जाती है तो उसे स्वास्थ्य विभाग की सहायता से उचित जांच और थेरेपी के लिए भेजा जाता है।

‎6. प्रारंभिक पहचान और हस्तक्षेप

‎योजना के तहत 2-3 वर्ष की आयु के बीच बच्चों में भाषा विकास की नियमित जांच की जाती है। यदि कोई बच्चा अपेक्षा से कम बोलता है या समझने में कठिनाई महसूस करता है, तो उसके लिए विशेष योजना बनाई जाती है।

‎योजना से लाभ होने वाले वर्ग

‎ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के बच्चे

‎अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे

‎झुग्गी बस्तियों और शहरी गरीब वर्ग

‎बाल श्रमिक या बाल विवाह की पृष्ठभूमि से जुड़े बच्चे

‎विशेष आवश्यकता वाले बच्चे

‎अब तक की उपलब्धियाँ

‎बोल शिशु योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ राज्यों में शुरू किया गया, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा। इन राज्यों में योजना के लागू होने के कुछ महीनों में ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। आंगनवाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों की उपस्थिति बढ़ी, अभिभावकों की भागीदारी में सुधार हुआ और बच्चों के बोलने के तरीकों में बदलाव आया।

‎संबंधित आंकड़े (तालिका)

‎विवरण आँकड़े (2024 तक)

‎पायलट राज्य 5 (उत्तर प्रदेश, बिहार, एमपी, झारखंड, ओडिशा)

‎लाभान्वित बच्चे लगभग 8 लाख

‎प्रशिक्षित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता 35,000+

‎माताओं की भागीदारी 60% से अधिक

‎मोबाइल ऐप डाउनलोड 10 लाख+

‎भाषा विकास में सुधार 70% बच्चों में स्पष्ट बदलाव

‎योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि:

‎बोल शिशु योजना के अंतर्गत प्रत्यक्ष रूप से नकद राशि नहीं दी जाती, बल्कि यह एक सेवा आधारित योजना है जिसमें बच्चों को निःशुल्क स्पीच थेरेपी, सुनने की जांच, भाषा विकास के उपकरण, विशेष शिक्षकों की सहायता और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। यदि किसी बच्चे को विशेष उपचार की आवश्यकता है, तो सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज कराया जाता है और कुछ मामलों में ₹5,000 से ₹15,000 तक की सहायता राशि दी जा सकती है, विशेष रूप से गंभीर मामलों में (राज्य-विशेष नीतियों के अनुसार)।

ऑनलाइन आवेदन कैसे करें

‎1. आंगनवाड़ी केंद्र या स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें

‎पहले नजदीकी आंगनवाड़ी या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाकर बच्चे की प्रारंभिक जांच कराएं।

 

‎2. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) पोर्टल पर जाएं

‎https://rbsk.gov.in पर लॉग इन करें। यह योजना इसी प्लेटफॉर्म के माध्यम से पंजीकृत होती है।

 

‎3. ऑनलाइन फॉर्म भरें:

‎बच्चे का नाम, जन्म तिथि, माता-पिता की जानकारी

‎स्वास्थ्य से संबंधित विवरण

‎यदि पहले कोई स्पीच या सुनने की समस्या बताई गई हो तो उसका प्रमाण

 

‎4. दस्तावेज अपलोड करें:

‎बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र

‎माता-पिता का आधार कार्ड

‎पासपोर्ट साइज फोटो

‎यदि हो तो डॉक्टर की रिपोर्ट

‎5. सबमिट करके रसीद लें

‎आवेदन के बाद एक पावती रसीद मिलती है जिससे आप आवेदन की स्थिति जान सकते हैं।

‎6. जांच और सत्यापन के बाद सुविधा मिलेगी

‎एक टीम आपके बच्चे का मूल्यांकन करेगी और फिर ज़रूरत के अनुसार स्पीच थेरेपी या अन्य सहायता दी जाएगी।

Leave a Comment

WhatsApp Group Join