यूपी में शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति पर सवाल! सिर्फ 0.01% शिक्षक ही दर्ज कर रहे हाजिरी, हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली लागू होने के बावजूद शिक्षक इसमें खास रुचि नहीं दिखा रहे हैं। सरकार की ओर से ऑनलाइन उपस्थिति को अनिवार्य नहीं किया गया है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि प्रदेशभर में बहुत कम शिक्षक ही अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के कुल 6,12,642 शिक्षकों में से सिर्फ 0.01% शिक्षक ही नियमित रूप से ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। यानी पहले पाली में सिर्फ 93 और दूसरी पाली में मात्र 58 शिक्षकों ने ही हाजिरी लगाई।
छात्रों की उपस्थिति बेहतर, लेकिन शिक्षक पीछे
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के 1 करोड़ 28 लाख 98 हजार 383 विद्यार्थियों में से करीब 16.79 प्रतिशत यानी 21 लाख 65 हजार 138 छात्रों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज की गई है। वहीं शिक्षकों की उपस्थिति का प्रतिशत बेहद निराशाजनक है।
सरकार की मंशा थी कि ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली से स्कूलों में पारदर्शिता बढ़े और शिक्षण व्यवस्था में सुधार हो, लेकिन वास्तविकता इसके उलट दिखाई दे रही है।
हाईकोर्ट हुआ सख्त, मांगी जिलेवार रिपोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक सुनवाई के दौरान ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने एक प्रधानाध्यापक और शिक्षिका के निलंबन के मामले में संबंधित जिलाधिकारी से पूरे जिले की ऑनलाइन हाजिरी की रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद राज्य परियोजना कार्यालय ने 17 अक्टूबर को विस्तृत आंकड़े जारी किए।
प्रयागराज समेत कई जिलों में बेहद कम उपस्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, प्रयागराज जिले में 2,839 स्कूलों में कुल 15,264 शिक्षक हैं, लेकिन यहां भी सिर्फ पहली पाली में 4 और दूसरी पाली में 1 शिक्षक ने ही ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराई।
इसी तरह चित्रकूट और फर्रुखाबाद में 7-7, बदायूं में 6, हाथरस और लखनऊ में 4-4, हरदोई और सीतापुर में 5-5, जबकि एटा, आजमगढ़, अलीगढ़, वाराणसी, बरेली और आंबेडकर नगर में केवल 3-3 शिक्षकों ने ही ऑनलाइन हाजिरी दी।
कई जिलों जैसे हापुड़, महोबा, कासगंज, इटावा, अमेठी, हमीरपुर, सोनभद्र, फतेहपुर, बहराइच, शाहजहांपुर, मथुरा आदि में तो सिर्फ एक शिक्षक ने ही उपस्थिति दर्ज की, जबकि कई जिलों में एक भी शिक्षक ने ऑनलाइन उपस्थिति नहीं दी।
क्या है सरकार की अगली रणनीति?
शासन स्तर पर अभी ऑनलाइन उपस्थिति को अनिवार्य नहीं किया गया है, लेकिन न्यायालय की सख्ती के बाद अब इस व्यवस्था को सख्ती से लागू किए जाने की संभावना बढ़ गई है। शिक्षा विभाग का उद्देश्य है कि सभी शिक्षक रोजाना समय से स्कूल पहुंचे और पारदर्शिता बनी रहे।








