TET अनिवार्यता पर अब बड़ी पीठ करेगी सुनवाई, क्या बदलेगा नियम?
शिक्षक योग्यता परीक्षा (TET) की अनिवार्यता से जुड़ा मामला अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी पीठ के पास भेजा गया है। देशभर के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी को जरूरी बनाने के फैसले को चुनौती दी गई थी। अब इस पर विस्तृत सुनवाई बड़ी पीठ करेगी।
यह मामला जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की दो जजों की पीठ के सामने था। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि इस याचिका में कई अहम कानूनी बिंदु और संवैधानिक सवाल शामिल हैं। इसलिए इसे मुख्य न्यायाधीश (CJI) के पास भेजा जा रहा है, ताकि बड़ी पीठ बनाकर इस पर विस्तार से सुनवाई की जा सके।
पहले भी हो चुकी है सुनवाई
इससे पहले उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में टीईटी को अनिवार्य करने के फैसले को लेकर अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया था कि पूरे देश में टीईटी परीक्षा को लागू किया जाए।
1 सितंबर 2025 को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति के लिए टीईटी परीक्षा जरूरी है। अब नई याचिकाओं पर बड़ी पीठ यह तय करेगी कि क्या इस नियम में किसी प्रकार का संशोधन किया जा सकता है या नहीं।
क्या है टीईटी का नियम?
टीईटी यानी Teacher Eligibility Test का नियम यह कहता है कि कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए इस परीक्षा को पास करना अनिवार्य है। यह नियम वर्ष 2011 के बाद नियुक्त सभी शिक्षकों पर लागू होता है।
जिन शिक्षकों ने अभी तक टीईटी पास नहीं किया है, उन्हें दो साल के भीतर यह परीक्षा पास करनी होगी। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, जो शिक्षक रिटायरमेंट के करीब हैं और जिनकी सेवा पांच साल से कम बची है, उन्हें इस नियम में राहत दी गई है।
लेकिन अगर ऐसे शिक्षक प्रमोशन यानी पदोन्नति चाहते हैं, तो उन्हें भी टीईटी पास करना जरूरी होगा। सरकार का मानना है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर होगी और छात्रों को योग्य शिक्षक मिलेंगे।









